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परम प्रिय गुरुवर, मैं आपको 2012 में मेरे पिता के कैंसर से गुजर जाने की कहानी बताना चाहता हूं।भले ही वह शुरू में यह नहीं समझ पाए कि मैंने आपका या किसी मार्ग का अनुसरण क्यों कर रहा हूं, फिर भी उन्होंने मेरे अभ्यास में हस्तक्षेप नहीं किया। हालांकि, उनके निधन से कई महीने पहले, वह एक अद्भुत चमत्कारिक परिवर्तन के माध्यम से गुजरे। 70 वर्ष से अधिक की आयु में, वे वीगन हो गए और ध्यान की सरल विधि का अभ्यास करना शुरू कर दिया, भले ही उन्हें पहले अध्यात्म में कोई दिलचस्पी नहीं थी और वह पशु-जन का मांस खाते थे साथ ही कई दशकों से धूम्रपान और शराब का भी सेवन करते आ रहे थे।और इससे पहले कि वह शय्याग्रस्त होने वाले थे, उन्होंने मुझे बताया कि, दो अलग-अलग मौकों पर जब अपने कैंसर के बारे में उन्होंने परमेश्वर से प्रार्थना की, दोनों समय गुरुवर उन्हें सलाह देने और सहज महसूस करवाने के लिए प्रकट हुए। तभी उन्हें पता चला कि गुरुवर ही ईश्वर हैं।सबसे खूबसूरत बात उस दिन से होने लगी, उन्हें आपसे पूरी तरह प्रेम हो गया। जब भी वह आपकी तस्वीर देखते, वह पूर्ण रुपसे से शय्याग्रस्त होने के बावजूद आपके आगे सिर झुकाने की पूरी कोशिश करते। एक बार, हमने गुरुवर का एक पोस्टर उनके बिस्तर के सामने वाली दीवार पर लटका दिया था, ताकि वह जब चाहे गुरुवर को देख सकें। जब हम सुबह वापस आए, भले ही वह बमुश्किल ही चल पाते, उन्होंने अपनी जगह बदल ली और अपना तकिया बिस्तर के विपरीत दिशा में रख दिया क्योंकि वह कदापी अपने पैरों को आपकी ओर नहीं करना चाहते थे।अंतिम सप्ताहों में, जब मैंने उनसे आपके बारे में बात की, उन्होंने मुझे बताया कि वह गुरुवर को हर समय, हर जगह देखते हैं। वह जहाँ भी देखते हैं, उन्हें हर जगह गुरुवर ही नजर आते हैं। फिर उन्होंने मुझसे कहा, "तुम लोगों को यह एहसास नहीं है कि गुरु को पाकर तुम कितने भाग्यशाली हो।" अपने जीवन के अंतिम महीनों में, उन्होंने गुरुवर के प्रति असिम सच्ची प्रेम और भक्ति विकसित की, और इसने उन्हें पूरी तरह से बदल दिया।पृथ्वी पर अपनी आखिरी रात में, उन्होंने सुबह करीब 4 बजे मुझे बुलाया और बताया कि पूरा कमरा रोशनी से भरा हुआ है। और पूछा कि क्या मैं भी उसे देख पा रहा हूं, लेकिन मैं नहीं देख पा रहा था। अगले दिन जब मैं उनके कमरे में गया, तो उनकी आंखें ऊपर की ओर देख रही थीं और उन्होंने सांस लेना बंद कर दिया। उन्होंने अपना शरीर त्याग दिया था। मैंने देखा कि गुरुवर का बौद्ध मंत्रो का जाप 24 घंटों के बाद भी एक एमपीथ्री प्लेयर पर चल रहा था भले ही उस उपकरण की बैटरी आमतौर पर केवल 6 घंटे ही चलती है। मैं अपने पिता के सामने ध्यान करने बैठ गया, और मैंने देखा कि दो स्वर्गदूत उनके शरीर पर आए और उनकी आत्मा को ऊपर ले गए। उसके बाद बौद्ध मंत्र बजना बंद हो गए।मैं गुरुवर और उनकी दिव्य कृपा के प्रति बहुत आभारी हूं। उन्होने मेरे पिता की देखभाल की और उनके आत्मा को बचाया, और उन्हें पूरी तरह से अंदर से बदल दिया। वह परिवर्तन और उसके अंतिम दिनों में घटी घटनाएँ चमत्कारीक थीं। मैं ईमानदारी से प्रार्थना करता हूं कि सभी प्राणी गुरुवर की शिक्षाओं की ओर ध्यान दें, और गुरुवर की सर्वशक्तिमान शक्ति और प्रेम की शरण लें। सिवाय गुरुवर की कृपा के इस जेल से बाहर आने का कोई रास्ता नहीं है।गुरुवर, तहे दिल से आपको धन्यवाद। यह वर्णन करने के लिए पर्याप्त शब्द नहीं हैं कि हम कितने भाग्यशाली हैं कि हमें ऐसे गुरुवर और उनका ऐसा प्रेम मिला है, सदैव आपका, प्रेम सहित, भारत से अजेंद्रभक्त अजेंद्र, अपने पिता के बारे में चमत्कारी कहानी साँझा करने के लिए धन्यवाद।गुरुवर के पास आपके दिल को छूने वाला एक प्यार भरा संदेश है: "कर्त्तव्यनिष्ठ अजेंद्र, जब हम क्वान यिन पद्धति का अभ्यास करते हैं, तो न केवल हमें लाभ होता है, बल्कि हमारे परिवार के सदस्यों और हमारे करीबी सभी लोगों को भी लाभ होता है। हमारा ध्यान हमारे चारों ओर हर चीज़ और हर किसी को प्रभावित करता है और दुनिया में प्रसारित होता है। यदि आप देख सकते कि वास्तव में आंतरिक स्वर्गीय ज्योति और ध्वनि पर ध्यान अभ्यास करना कितना प्रभावशाली है, तो आप चकित रह जाएंगे। मुझे उम्मीद है कि जिन लोगों ने दीक्षा प्राप्त की है वे बहुत लगन से साधना करें और प्रार्थना करें जल्द से जल्द पृथ्वी को बदलकर एक वीगन स्वर्ग बनाने के लिए। आप और अच्छे भारतीय लोग ईश्वर के आशीष की महिमा में अंतहीन आनंद लें। आपको सदा प्रेम।"