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मीटिंग्स, समयसीमाओं और जिम्मेदारियों के बीच संतुलन बनाने में अक्सर आराम के लिए बहुत कम समय बचता है। लेकिन हम कितने भाग्यशाली हैं कि हमारे पास हमारे परम प्रिय सुप्रीम मास्टर चिंग हाई जी (वीगन) हैं, जो हमें लगातार ध्यान के अनगिनत लाभों की याद दिलाते रहते हैं। यहां कुछ प्रेरणादायक शब्द दिए गए हैं, जो मूल रूप से 27 मार्च, 1993 को होनोलुलु, हवाई, यूएस में एक प्रवचन में उनके द्वारा कहे गए थे।परम गुरुवर हमारे अन्दर विद्यमान हैं और हमें उन्हें जानना है और यही एकमात्र काम है जो हमें करना है। यदि हम केवल काम ही करते रहें और आराम न करें, तो हम अधिक बेचैन हो जाएंगे और अपने काम में कम कुशल होंगे, क्योंकि हम एकतरफा जीवन से तंग आ जाएंगे, ऊब जाएंगे। लेकिन यदि हम साथ-साथ समय पर काम और आराम करें, जैसे कि हमारे अधिकांश साथी अभ्यासी करते हैं, तो निःसंदेह हम अधिक खुश रहेंगे। क्योंकि दो या तीन घंटे का ध्यान कई महीनों के आराम के बराबर है। परमेश्वर या उस परम गुरु शक्ति, जो कि हमारी मूल स्वरूप हैं, के साथ संवाद के उस समय में हम दिन के दौरान खोई हुई सारी ऊर्जा को पुनः प्राप्त कर लेते हैं।इस व्यस्त संसार में हमें मार्गदर्शन देने तथा शांति पाने में हमारी सहायता करने के लिए हमारे परम प्रिय गुरुवर को हार्दिक धन्यवाद। आपका ज्ञान और प्रेम हमारे जीवन में प्रकाश और शांति का सतत स्रोत बना रहेगा।