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आप जानते हैं आत्मा की प्रकृति ऐसी नहीं है कि "मैं यहां हूं और मेरी यहां पर एक आत्मा है"- यह इस तरह नहीं होता है! मेरी आत्मा यहां होने की अपेक्षा बडी है। यह यहां हर जगह हो सकती है; यह पूरी मैं हो सकती हूं, किंतु यह भिन्न दिखाई देती है। यह ऐसा नहीं है, ठीक है, "ईश्वर एक है ओैर हरकोई ईश्वर के साथ एकाकार है"- इसका अर्थ यह नहीं है। इसका अर्थ है कि किसी भी व्यक्ति की आत्मा महान हो सकती है जो अनेक तथाकथित शरीरों में सम्मिलित हो सकती है। अतः हमारी पहचान एक दूसरे से हो सकती है।