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महामहिम राजा चुलालोंगकोर्न (राम पंचम) की हार्दिक यादें, 2 का भाग 1

विवरण
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लेकिन यह स्पष्ट था कि महामहिम ने शुरू से ही इस बारे में सोचा था। उनका प्यार और परोपकार, उनकी सहानुभूति और उदारता उनके सिंहासन पर बैठने के बाद से ही थी। इससे पता चलता है कि ये गुण उनमें अंतर्निहित थे।
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