सर्वलौकिक भाषा के माध्यम से स्वयं को व्यक्त करना, सात भाग शृंखला का भाग ६2020-06-26मास्टर और शिष्यों के बीच विवरणडाउनलोड Docxऔर पढोमैंने कहा, "यदि मैं राष्ट्रपति से मिल सकूँ और शरणार्थियों के बारे में बात कर सकूँ, फिर यह भी उनका भाग्य है। और यदि मैं नहीं कर सकी, फिर मैं भी इसे नियति, भाग्य के रूप में स्वीकार करूँगी। तो, चिंता मत करें, चिंता मत करें!"